सर्वनाम किसे कहते हैं
दोस्तो आज हम इस लेख में हिंदी के सर्वनाम के बारे में सीखेंगे.इस प्रकरण के अंतर्गत हम निम्न टॉपिक को बताएँगे, सर्वनाम किसे कहते है (Sarvanam kise kahate hain), सर्वनाम का अर्थ, सर्वनाम की परिभाषा सर्वनाम के प्रकार (Sarvanam ke Prakar), सर्वनाम के उदाहरण .
सर्वनाम दो शब्दों से मिल कर बना शब्द है सर्व और नाम , इसका अर्थ है कि सभी नामों (संज्ञाओं) की जगह आने वाला शब्द सर्वनाम (Sarvanam) कहलाता है । अगर आसानी से समझें तो सर्वनाम वो शब्द होते है जो संज्ञा के स्थान पर काम आते है । सर्वनाम क्या होता है -
सर्वनाम किसे कहते हैं |
सर्वनाम की परिभाषा
’सर्वनाम’ उस विकारी शब्द को कहते हैं, जो पूर्वापरसंबंध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है जैसे-मैं, तुम, वह, यह इत्यादि। सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसंबंध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है।
सविता विद्यालय जाती है। वह वहाँ पढ़ती है। पहले वाक्य में ’सविता’ तथा ’विद्यालय’ शब्द संज्ञाएँ हैं, दूसरे वाक्य में ’सविता’ के स्थान पर ’वह’ तथा ’विद्यालय’ के स्थान पर ’वहाँ’ शब्द प्रयुक्त हुए हैं। अतः ’वह’ और ’वहाँ’ शब्द संज्ञाओं के स्थान पर प्रयुक्त हुए हैं इसलिए इन्हें सर्वनाम(Sarvanam) कहते हैं।
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उदाहरणों से हम सर्वनाम क़ो बिल्कुल आसान तरीके से समझेंगे।
उदाहरण : सो ताको सागर जहाँ जाकी प्यास बुझाय ।
स्पष्टीकरण : यहां सो संबंधवाचक सर्वनाम है
उदाहरण : राम मेरा भाई है। वह बहुत बुद्धिमान है ।वह कक्षा मे हमेशा प्रथम आता है।
स्पष्टीकरण : यहां मोहन संज्ञा शब्द है राम कि जगह आया शब्द “वह” सर्वनाम है यहां राम क़ो बार बार ना लिख कर वह शब्द का इस्तेमाल हुआ है
उदाहरण: देव, तु दयालु, दीन हौ, तु दानी, हौ भिखारी
स्पष्टीकरण : यहां ” तु “सर्वनाम देवता के लिये आया है जो मध्यम पुरुष सर्वनाम है
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उदाहरण : श्री कृष्ण ने ब्राह्मण क़ो विदा किया और आप चलने का विचार करने लगे
यहां आप निज वाचक सर्वनाम है
उदाहरण : मोहन का घर यह है। उसकी माताजी अध्यपिका है । उसके पिताजी डॉक्टर है । वह कक्षा 8 मे पढता है।
स्पष्टीकरण : यहां मोहन शब्द एक बार आया है जो संज्ञा है अन्य पंक्तियों मे संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है जो सर्वनाम है
उदाहरण : गीता गांव जाती है,तब वह पेड़ पर से आम तोड़ कर खाती है । वे बहुत रसीले और मीठे होते है।
स्पष्टीकरण: यहां प्रयुक्त वे शब्द सर्वनाम है किन्तु यह गीता के लिये प्रयुक्त न होकर आम के लिये हुआ है किसी भी सजीव या निर्जीव वस्तुओ के नाम का उच्चारण बार बार ना करके हम सर्वनाम शब्दों का इस्तेमाल करते है।
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उदाहरण : मोहन बहुत नटखट है । उसकी माँ यशोदा उसकी शरारतो से बहुत परेशान है। उसके पास एक बांसुरी है जिससे मधुर आवाज़ आती है।
उदहारण :- यहां उसकी और उससे शब्द मोहन के लिये है
जिससे शब्द बांसुरी के लिये आया है ।
दोस्तो अब आप सर्वनाम (Sarvanam) को समझ गए होंगे ,अब हम इसके भेदों को समझेंगे।
सर्वनाम के कितने भेद होते है – Sarvanam ke Kitne Bhed Hote Hain
कामताप्रसाद के अनुसार हिंदी में प्रकार के सर्वनाम होते है ।
सर्वनाम भेद
हिंदी में ग्यारह प्रकार के सर्वनाम हैं-
मैं
तू
आप
यह
वह
जो
सो
कोई
कुछ
कौन
क्या
सर्वनाम के भेद कितने होते हैं
सर्वनाम के मुख्यतः छ: भेद होते है
पुरुषवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम
निश्चयवाचक सर्वनाम
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
संबंधवाचक सर्वनाम
प्रश्नवाचक सर्वनाम
पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद हैं-
पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं –’पुरुषवाचक सर्वनाम’ – जिन सर्वनामों का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या अन्य किसी व्यक्ति के स्थान पर किया जाता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं। उत्तमपुरुष में लेखक या वक्ता आता है, मध्यमपुरुष में पाठक या श्रोता और अन्यपुरुष में लेखक और श्रोता को छोङ अन्य लोग आते हैं।
उत्तमपुरुष – वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला व्यक्ति स्वयं अपने लिए करता है।
मैं , हम, मुझे, मेरा, हमारा, हमें
मैं पढ़ता हूँ।
मैं स्कूल जाऊँगा।
हम पढ़ते हैं।
हम मतदान नहीं करेंगे।
हम फुटबाॅल खेलेंगे।
मैं खाना बना रही हूँ।
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मध्यमपुरुष – वे सर्वनाम शब्द, जो सुनने वाले के लिए प्रयुक्त किये जाते है।
तू, तुम, तुझे, तुम्हें, तेरा, आप, आपका, आपको
तू पढ़ता है।
तुम पढ़ते हो।
तुम खेल रहे हो।
अन्यपुरुष – वे सर्वनाम, जिनका प्रयोग बोलने तथा सुनने वाले व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रयुक्त करते हैं।
वह, वे, यह, ये, उन्हें, उसे, इसे, उसका, इसका
वह पढ़ता है।
वे पढ़ते हैं।
वे नाच रहे हैं।
निजवाचक सर्वनाम nijvachak sarvanam
’निजवाचक सर्वनाम’ का रूप ’आप’ है। लेकिन, पुरुषवाचक के अन्य पुरुष वाले ’आप’ से इसका प्रयोग बिल्कुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ’आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। आप, अपना, स्वयं, खुद आदि निजवाचक सर्वनाम हैं।
जैसे-
निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण
मैं अपना खाना बना रहा हूँ।
आप मेरे सिर-आँखों पर हैं
तुम स्वयं वहाँ चले जाना।
तुम अपनी पुस्तक पढ़ो।
आप क्या राय देते हैं?
मैं अपने आप बाजार चला जाऊँगा।
किंतु, निजवाचक ’आप’ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। निजवाचक सर्वनाम ’आप’ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में होता है –
ध्यान देने योग्य -
(क) निजवाचक ’आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम (Sarvanam) के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है। जैसे-मैं आप वहीं से आया हूँ, मैं आप वही कार्य कर रहा हूँ।
(ख) निजवाचक ’आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे-उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बने, वह औरों को नहीं, अपने को सुधार रहा है।
(ग) सामान्य अर्थ में भी ’आप’ का प्रयोग होता है। जैसे-आप भला तो जग भला, अपने से बङो का आदर करना उचित है।
(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ’आप’ के साथ ’ही’ जोङा जाता है। जैसे-मैं आप ही चला आता था, वह काम आप ही हो गया, मैं वह काम आप ही कर लूँगा।
निश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते है –
जिस सर्वनाम (Sarvanam) से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्चय का बोध होता है, उसे ’निश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं,
जैसे-
यह, वह, इस, उस, ये, वे।
उदाहरणार्थ –
वह आपकी घङी है।
यह मेरा घर है।
ये मेरी पुस्तकें है।
वे उनकी पुस्तकें है।
पास की वस्तु के लिए – यह कोई नया काम नहीं है।
दूर की वस्तु के लिए-रोटी मत खाओ, क्योंकि वह जली है।
यह पुराना मकान है।
वह पुराना मकान है।
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अनिश्चयवाचक सर्वनाम किसे कहते है –
जिस सर्वनाम (Sarvanam) से किसी निश्चित वस्तु का बोध न हो, उसे ’अनिश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं,
जैसे-कोई, कुछ, किसी।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण
कोई जा रहा है।
वह कुछ खा रहा है।
ऐसा न हो कि कोई आ जाए।
किसी ने कहा था।
कुछ कहते हैं कि वह मूर्ख है।
कब तक चुप रहोगे, अब कुछ तो बोलो।
उसने कुछ नहीं खाया।
कोई मुझे बुला रहा है।
कोई चीज लेते आना।
’कोई’ का प्रयोग मनुष्यों के लिए तथा कुछ का प्रयोग निर्जीव पदार्थों तथा छोटे जीव-जन्तुओं के लिए होता है। अपवादस्वरूप ’कोई’ का प्रयोग वस्तु और कुछ का प्रयोग व्यक्ति के लिए भी होता है।
संबंधवाचक सर्वनाम किसे कहते है-
जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाए, उसे ’संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते हैं,
जैसे-
जो-वह, जो-सो, जिसकी-उसकी, जितना-उतना
संबंधवाचक सर्वनाम के उदाहरण
जो पढ़ेगा सो पास होगा।
वह कौन है, जो पङा रो रहा है,
जितना गुङ डालोगे उतना मीठा होगा।
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
वह जो न करे, सो थोङा।
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताय।
प्रश्नवाचक सर्वनाम किसे कहते है –
प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ’प्रश्नवाचक सर्वनाम’ कहते हैं,
जैसे-कौन, क्या, किसकी।
उदाहरणार्थ-
कौन गाना गा रही है?
कौन आता है ?
क्या कहते हो ?
वह क्या लाया ?
तुम क्या खा रहे हो ?
किसकी पुस्तक पङी है ?
कौन आ रहा है ?
बाजार से क्या लाए हो ?
संयुक्त सर्वनाम
रूस के हिंदी वैयाकरण डाॅ. दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम (Sarvanam) का उल्लेख किया है और उसे ’संयुक्त सर्वनाम’ कहा है। उन्हीं के शब्दों में, ’संयुक्त सर्वनाम’ पृथक् श्रेणी के सर्वनाम है।
सर्वनाम (Sarvanam) के सब भेदों से इनकी भिन्नता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतंत्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ ही प्रयुक्त होता है।’’
कुछ उदाहरण इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ कोई-कोई इत्यादि।
2. सर्वनाम के रूपांतर (लिंग, वचन और कारक)
सर्वनाम का रूपांतर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपांतर नहीं होता।
जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।
संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं-एकवचन और बहुवचन। पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम को छोङ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते है।
सर्वनाम में केवल सात कारक होते हैं। संबोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है,
जैसे-
मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा, तुम-तुम्हें, तुम्हारा, हम-हमें, हमारा, वह-उसने, उसको, उसे, उससे, उन्होंने, उनको, यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे, कौन- किसने, किसको, किसे।
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