शिवसहस्त्रनामस्तोत्र
ऋषि बोले: सूतजी ! आप सब जानते हैं। इसलिए हम आपसे पूछते हैं। प्रभो ! हरीश्वर लिङ्ग की महिमा का वर्णन कीजिये - तात ! हमने पहले से सुन रखा है कि भगवान् विष्णु ने शिव की आराधना से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया ।अतः उस कथा पर विशेष रूप से प्रकाश डालिये।
सूतजी बोले: मुनिवरों ! भगवान् विष्णु ने पूर्वकाल में हरीश्वर शिव से ही सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। दैत्य अत्यन्त प्रबल होकर लोगों को पीड़ा देने और धर्म का लोप करने लगे। उन दैत्यों से पीड़ित हो देवताओं ने अपना दुःख भगवान् विष्णु से कहा। तब श्रीहरि कैलास जाकर आराधना करने लगे। वे हज़ार नामों से शिव की स्तुति करते तथा प्रत्येक नाम पर एक कमल चढ़ाते थे। तब भगवान् शङ्कर ने विष्णु के भक्तिभाव की परीक्षा लेने के लिए उनके लाये हुए एक हज़ार कमलों में से एक कमल छिपा दिया। भगवान् विष्णु ने एक फूल काम जानकार उसकी खोज आरम्भ की और सारी पृथ्वी का भ्रमण कर डाला परन्तु उन्हें वह फूल नहीं मिला - तब विशुद्धचेता विष्णु ने एक फूल की कमी पूर्ती के लिए अपने कमलसदृश एक नेत्र को ही निकालकर चढ़ा दिया - यह सब देख भगवान् शङ्कर बड़े प्रसन्न हुए और प्रकट होकर श्रीहरि से बोले - "हरे ! मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूँ - तुम इच्छानुसार वर मांगो - मैं तुम्हें मनोवांछित वस्तु दूंगा - तुम्हारे लिए मुझे कुछ भी अदेय नहीं है।"
शिवजी के नाम की लिस्ट
सूतजी बोले: तदनन्तर देवाधिदेव महेश्वर ने तेजोराशिमय अपना सुदर्शन चक्र उन्हें दे दिया। उसको पाकर भगवान् विष्णु ने उन समस्त प्रबल दैत्यों का उस चक्र के द्वारा बिना परिश्रम के ही संहार कर डाला।
ऋषियों ने पूछा: शिव के सहस्त्रनाम कौन कौन हैं, बताइये, जिनसे सन्तुष्ट होकर महेश्वर ने श्रीहरि को चक्र प्रदान किया था? उन नामों के माहात्म्य का भी वर्णन कीजिये - वैसी बात सुनकर सूतजी ने शिव के चरणारविन्दों का चिन्तन करके इस प्रकार कहना आरम्भ किया।
शिवजी के नाम कितने हैं
सूत उवाच
श्रूयतां भो ऋषिश्रेष्ठा येन तुष्टो महेश्वरः-
तदहं कथयाम्यद्य शैवं नामसहस्त्रकम् -- १ --
सूतजी बोले: मुनिवरों ! सुनो, जिससे महेश्वर सन्तुष्ट होते हैं, वह शिवसहस्रनामस्तोत्र आज तुम सबको सुना रहा हूँ -
शिवसहस्त्रनामस्त्रोत
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शिवजी के नाम के अर्थ बताओ
शिवो हरो मृडो रुद्रः पुष्करः पुष्पलोचनः-
अर्थिगम्यः सदाचारः शर्वः शम्भुर्महेश्वरः -- २ --
१- शिव - कल्याणरूप
२- हरः - भक्तों के पाप-ताप हरने वाले
३- मृडः - सुखदाता
४- रुद्रः - दुःख दूर करनेवाले
५- पुष्करः - आकाशस्वरुप
६- पुष्पलोचनः - पुष्प के सामान खिले हुए नेत्र वाले
७- अर्थिगम्यः - प्रार्थियों को प्राप्त होने वाले
८- सदाचारः - श्रेष्ठ आचरण वाले
९- शर्वः - संहारकारी
१०- शम्भुः - कल्याणनिकेतन
११- महेश्वरः - महान ईश्वर
महादेव के नाम के अर्थ
चन्द्रापीडश्चन्द्रमौलीर्विश्वं विश्वम्भरेश्वरः -
वेदान्तसारसन्दोहः कपाली नीललोहितः -- ३ --
१२- चन्द्रापीडः - चन्द्रमा को शिरोभूषण के रूप में धारण करनेवाले
१३- चन्द्रमौलिः - सर पर चन्द्रमा का मुकुट धारण करनेवाले
१४- विश्वम् - सर्वस्वरूप
१५- विश्वम्भरेश्वरः - विश्व का भरण-पोषण करनेवाले श्रीविष्णु के भी ईश्वर
१६- वेदान्तसारसन्दोहः - वेदान्त के सारतत्त्व सच्चिदानन्द ब्रह्म की साकार मूर्ति
१७- कपाली - हाथ में कपाल धारण करनेवाले
१८- नीललोहितः - (गले में) नील और (शेष अंगों में) लोहित वर्ण वाले
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