शब्द शक्ति की परिभाषा
किसी शब्द के अंतर्गत छिपे हुए मूल अर्थ को प्रकट करने की शक्तियाँ ही शब्द शक्ति कहलाती है. शब्द शक्तियाँ गद्य,पद्य या साहित्य की अन्य विधा में विलक्षणता या चमत्कार को पैदा करने की शक्ति ही शब्द शक्ति कहलाती है.
शब्द के प्रकार (shabd ke prakar)- शब्द अर्थ की दृष्टि से तीन प्रकार के होते हैं – वाचक शब्द , लक्षक शब्द एवं व्यंजक शब्द आदि.
Hindi vyakaran में इन्ही तीन आधारों पर शब्द शक्तियों के तीन भेद किये गये हैं
वाचक शव्द – अभिधा शब्द शक्ति
लक्षक शब्द – लक्षणा शब्द शक्ति
व्यंजक शब्द—व्यंजना शब्द शक्ति
अब इन्ही शब्द शक्तियों के नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे
अभिधा शब्द शक्ति abhidha shabd shakti
अभिशा शब्द शक्ति किसे कहते हैं
– वाचक अर्थ को
सीधा प्रकट करने
वाली शक्ति को अभिधा शब्द
शब्द कहते हैं, अर्थात वाचक अर्थ जो
सीधा एक बार
में बिना बाधा
के समझ में आ जाये
जैसे संकेतार्थ, लोक प्रसिद्द अर्थ
आदि. ऐसे शब्द
जिनका अर्थ पाठक
या श्रोता को पहले
से ही मालूम हो.
जैसे- जयपुर राजस्थान की राजधानी है
, हमारे चार वेद
हैं,
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात अभिधा में किसी शब्द का एक
ही अर्थ ग्रहण किया जाता है.
अभिधा शब्द शक्ति के मुख्यतः तीन
भेद है (1) रूढ़, (2) यौगिक (3) योगरूढ़.
काव्य प्रभाकर ग्रन्थ में इसके 12 भेदों का जिक्र किया
गया है –
है संयोग,वियोग अरु
सह चरज सु
विरोध
प्रकरण अर्थ-प्रसंग पुनि चीन्ह समरथ
बोध
औचित्यहु पुनि देसबल काल भेद सुर
फेर
द्वादश अभिधा शक्ति के भेद कहें
कवि हेर.
अभिधा को उत्तम काव्य के श्रेणी में गिना जाता है क्योकि इसमें अर्थ भार को संप्रेषित करने की क्षमता सबसे अधिक होती है. जैसे कोई गद्य लेख , पत्राचार, समाचार पत्र, वार्तालाप आदि.
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लक्षणा शब्द शक्ति
जब किसी शब्द या वाक्यांश का मुख्य अर्थ प्रकट न हो और शब्द के लक्षणों के आधार पर अर्थ ग्रहण किया जाये. वहां लक्षणा शब्द शक्ति होती है. या फिर निहितार्थ को ग्रहण करने में कठिनाई आये और रूढ़ अथवा प्रयोजन के अनुसार अर्थ को ग्रहण किया जाये उसे लक्षणा शब्द शक्ति के नाम से जाना जाता है.
ध्यातव्य बातें- प्रिय पाठको लक्षणा शब्द शक्ति के अध्ययन के समय निम्नलिखित बैटन का स्मरण रखना चाहिए.
1-मुख्य अर्थ का बाधित होना- अर्थात लक्षणा शब्द शक्ति में मुख्य अर्थ (व्याकरणिक कोश में दिया गया अर्थ ) प्रकट न हो .
जैसे- कविता तो एकदम गाय है – कविता लड़की हे जो गाय नहीं है परन्तु गाय का कोशगत अर्थ एक चार पैरों का पशु है. परन्तु वाक्य का मुख्य अर्थ गाय जैसा सीधापन से है जो बाधित हुआ है इसलिए यहाँ लक्षणा शब्द शक्ति है.
2-आरोपित अर्थ को ग्रहण करना- मुख्य अर्थ के स्थान पर अनिवार्य अर्थ को ही ग्रहण कर पान
जैसे – लड़की में गाय जैसा गुण यानि सीधापन को ग्रहण करना
आरोपित अर्थ प्रयोजन या रूढि पर आधारित हो- जैसे लड़की को सीधीसादी और भोलीभाली बताने के प्रोयजन के लिए अरोपितार्थ को ग्रहण किया.
लक्षणा शब्द शक्ति के भेद-
लक्षणा शब्द शक्ति के निम्नलिखित दो भेद हैं- 1- रूढ़ि लक्षणा (Roodhi Lakshana)-2- प्रयोजनवती लक्षणा(Prayojanvati Lakshana).
रूढ़ि लक्षणा (Roodhi Lakshana)- जब आरोपित अर्थ या लक्षित अर्थ रूढ़ियों अथवा परम्पराओं के अनुसार ग्रहण किया जाये.
जैसे – राजस्थान वीर है परन्तु यहाँ राजस्थान के वीरो के लिए राजस्थान शब्द ही पर्याप्त है.
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प्रयोजनवती लक्षणा(Prayojanvati Lakshana).- जिन वाक्यों में मुख्य अर्थ के बाधित होने पर किसी प्रयोजन की पूर्ति हेतु लक्ष्यार्थ को ग्रहण किया जाये. वहां प्रयोजनवती prayojanvati lakshana shabd shakti होती है.लड़की को गाय और लड़के को शेर कहने से तात्पर्य लड़की को भोलीभाली और लड़के को बहादुर होता है.
व्यंजना शब्द शक्ति
व्यनजन शब्द शक्ति में जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ प्रकट हों. वहां व्यंजना शब्द शक्ति होती है जैसे – चार बज गये . अब इस वाक्य क कई अर्थ प्रकट होते है चार बज गए अर्थात मंदिर में पूजा का समय हो गया. इसी प्रकार ग्वाले के लिए इसका अर्थ गाय दुहने का समय हो गया.
इस प्रकार एक बात स्पष्ट होती है इस शब्द शक्ति वाले वाक्यों या शब्दों का अर्थ पाठक अथवा श्रोता भावानुसार ही अर्थ ग्रहण कर पते हैं.
ध्यान देने योग्य बात – की अभिधा शब्द शक्ति और लक्षणा शब्द शक्ति का सम्बन्ध केवल शब्दों से होता है परन्तु व्यंजना शब्द शक्ति का सम्बन्ध शब्द एवं अर्थ दोनों से रहता हैं. Hindigrammar.xyz
व्यंजना शब्द शक्ति के भेद
vyanjana शब्द शक्ति के मुख्यतः दो भेद होते हैं –1- शाब्दी व्यंजना , 2- आर्थी व्यंजना (arthi व्यंजन)
शाब्दी व्यंजना (shabdi vyanjana)- जहाँ शब्दों में व्यंग्यार्थ छुपा रहता है और उसी शब्द का कोई अन्य समानार्थी(पर्यायवाची शब्द) प्रयुक्त करने पर वह व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाता है उसे शाब्दी व्यंजना कहते हैं-
उदाहरण- चिरजीवौ जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर.
को घटि ? ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर..
उपरोक्त उदहारण में वृषभानुजा शब्द के दो अर्थ प्रयुक्त हुए हैं वृष भानुजा अर्थात राजा वृषभानु की पुत्री राधा और वृषभ अनुजा अर्थात बैल की बहिन गाय. इसी प्रकार हलधर शब्द के भी दो अर्थ है हलधर अर्थात हल को धारण करने वाले किसान और हलधर श्री कृष्ण के भाई बलराम. और उपरोक्त उदारहण में वृषभानुजा के स्थान पर वृषभानुसुता और हलधर के स्थान पर बलराम प्रयोग करने पर शब्दों में व्यंजना शब्द शब्द शक्ति समाप्त हो जाएगी
आर्थी व्यंजना(arthi vyanjana)- जहाँ व्यंग्यार्थ शब्दों में न होकर शब्दों के अर्थ में निहित रहता है तो वहां आर्थी व्यंजना शब्द शक्ति होती है. इसमें शब्दों के समानार्थी प्रयुक्त करने पर भी चमत्कार व्यंग्यार्थ समाप्त नहीं होता है.
उदहारण- जब-जब मैं जाऊं री सखी, वा यमुना के तीर.
भरि-भरि यमुना उमड़ पड़ति है, इन नैनन के नीर..
इस उदाहरण में सखी,यमुना या नैनन के स्थान पर पर्यायवाची प्रयुक्त करने पर व्यंग्यार्थ समाप्त नहीं होगा.
दोस्तों यहाँ लेख पढ़ कर आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें
Excellent thanks this note..
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