हिंदी ग्रामर क्या है:Hindi Grammar Kya hai
नमस्कार मेरे सुधी पाठकों हम जब से विद्यालय में प्रथम बार
अध्यापक के समक्ष जाते हैं उसी दिन से हमारा Hindi Grammar से सम्बंधित प्रशिक्षण
प्रारंभ हो जाता है. आज हम यहाँ Hindi Vyakaran के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे
की हिंदी ग्रामर क्या है और इसका स्वरुप क्या हैं तथा हमें हिंदी व्याकरण की क्यों
आवश्यकता है इसे सीखने और सिखाने के लिए किन-किन चीजों की अवश्यकता है. अर्थात् आज
का प्रकरण हिंदी ग्रामर की समस्त जानकारी को आप तक पंहुचा रहे हैं . क्योंकि हमने
कई बार देखा है की विभिन्न Hindi Grammar की पुस्तकों और हिंदी ग्रामर(Hindi
Vyakaran) से सम्बंधित हजारों वेबसाइट पर अधूरी जानकारी परोसी जा रही हैं. ईसिस
बात से खिन्न होकर मैं यह लेख लिख रहा हूँ. और आशा करता हूँ की यह लेख आपके ज्ञान संवर्धन करने में मील का
पत्थर सिद्ध होगा.
बालक की प्रथम गुरु/ शिक्षक कौन है ?- Balak ki pratham Guru/ shikhak
Kaun hain.
प्रिय पाठको कई बार हमारे सामने
समाज में यह प्रश्न पुछा जाता है की मनुष्य के पहला गुरु/शिक्षक कौन है. प्रिय
पाठको जैसा की आप जानते है की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समूह में रहता
हैं समूह में परिवार होता है परिवार में माँ, बाप,दादा,दादी आदि कई सदस्य होते
हैं. माँ बाप एक संतान को जन्म देते है अब शुरुआत होती है पहली बार पढाई अर्थात्
माँ ही एक मात्र ऐसी सदस्य होती है जो उस बालक को परिवार का परिचय देती है माँ ही
बालक को बोलना सिखाती है जैसे – माँ, पापा, दादा, दादी,चाचा, चची, नाना, नानी,
बुआ,फूफा, काका, काकी इत्यादि इस प्रकार बच्चे को माँ ही Hindi Grammar की जाने
अनजाने में शिक्षा देती है.
बालक की पहली पाठशाला- Balak Ki
Pahali Pathashala
दोस्तों जैसा की ऊपर बताया गया की
माँ बालक की पहली शिक्षक होती है. और परिवार उस बालक की प्रथम पाठशाला होती है
जिसमे बालक विभिन्न सगे-सम्बन्धियों, भाई-बहिनों, मामा-मामी आदि के बारे में जान
पता है.
हिंदी ग्रामर का इतिहास Hindi Grammar ka Itihas-
hindi Grammar के इतिहास की बात करें तो ऐसा लगता है जैसे
की हिंदी ग्रामर का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है लेकिन यहाँ आपको बताते चले कि यह
धारण पूर्णत: असत्य है. Hindi Vyakarn का इतिहास तब से प्रारंभ होता है जब से
मनुष्य ने बोलना सीखा उसके पश्चात् लिखना और पढ़ना . संसार में पुरातत्वविदों को
विभिन्न स्थानो की खुदाई में पुराने शिलालेख प्राप्त हुए है जिसमे अलग- अलग प्रकार
की लिपियाँ उपलब्ध हुई जो एक दूसरे पूर्ण या आंशिक रूप से भिन्न थी. लेकिन आपने इस
बात का ध्यान नहीं दिया की बिना व्याकरण के ज्ञान के संसार की किसी भी भाषा में
लिखना असंभव है. फिर भी हम मान लेते है की हिंदी की व्याकरण नूतन है यह बात असत्य
है. जैसा की आप सभी सुधीजन जानते है की संस्कृत भाषा एक अति प्राचीन भाषाओ की
श्रेणी में आती और इस तथ्य को हम अस्वीकृत नहीं कर सकते है. संस्कृत ही दुनिया की
पहली भाषा है जो पूर्णतया शुद्ध है और वैज्ञानिक है संस्कृत की लिपि देवनागरी है
और हिंदी भाषा की लिपि भी देवनागरी है. जो वर्णमाला संस्कृत के लिए है लगभग वही
वर्णमाला हिंदी की व्याकरण में भी प्रयुक्त की गयी है.
जिस प्रकार संस्कृत व्याकरण को विशुद्ध और पूर्ण वैज्ञानिक
मन जाता है ठीक उसी प्रकार hindi Grammar को शुद्ध मन जाता है क्योंकि hindi
vyakaran में प्रकरण सम्मिलित हैं जो sanskrit vyakaran में है.
वर्णमाला - हिंदी वर्णमाला क्या है hindi Varnamala Kya Hai
?
प्रिय पाठको संसार की कोई भी भाषा हो उसकी अपनी-अपनी
निश्चित वर्णमाला होती है Varnamala Kya hai इस बात का जवाब है जैसे कोई भी भवन
बनाते हैं उसके लिए दीवार बनाने के लिए जो महत्व बजरी, ईंट, पत्थर का है उसी
प्रकार किसी भी भाषा के लिए वर्णमाला का महत्व होता है. हिंदी वर्णमाला में कुल 44
वर्ण होते है जिसमे 11 स्वर वर्ण और 33 व्यंजन वर्ण.
स्वर- अ, आ, इ, ई, उ,ऊ, ऋ, ए, ऐ,, ओ, औ इत्यादि
अयोगवाह- अं, अ:
व्यंजन-स्पर्श व्यंजन-
क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड. ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ,
म.
अन्तस्थ व्यंजन- य, र, ल, व .
उष्म व्यंजन- श. ष, स, ह.
सयुंक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ आदि
वर्णमाला की अधिक जानकारी के लिए ये पढ़ें- Hindi Varnamala
Ki Jankari
संज्ञा- संज्ञा किसे कहते है Sngya Kise Kahate hain
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान,पदार्थ, गुण, भाव आदि के नाम को
संज्ञा कहते हैं . संज्ञा शब्द सम् और ज्ञा से मिलकर बना है सम् = ठीक प्रकार से
और ज्ञा= ज्ञान कराने वाला.
जैसे – राम, श्याम, गीता, मीना, पानी,दाल, पहाड़, ताजमहल.
अमृतसर, चीन, रूस, बचपन, युवा, गोदावरी, भाखड़ा नागल, लक्ष्मन झूला, हिन्द महासागर,
लाल सागर, सूर्य, सोमवार इत्यादि.
संज्ञा के भेद – संज्ञा कितने प्रकार की होती है.
हिंदी के व्यकाराणाचार्यों ने संज्ञा के मुख्यतः तीन भेद
किये हैं परन्तु कुछ विद्वानों ने दो भेद अलग से और माने हैं पूर्ववर्ती विद्वान
इन दो भेदों को मुख्य भेदों का उपभेद मानते हैं
संज्ञा के भेद- 1- व्यक्तिवाचक संज्ञा 2- जातिवाचक संज्ञा
3-भाववाचक संज्ञा.
अन्य उपभेद- समूहवाचक संज्ञा और द्र्ववाचक संज्ञा.
संज्ञा की अधिक जानकारी के लिए इसे पढ़ें- Sangya Kise
Kahate Hain
सर्वनाम – सर्वनाम किसे कहते हैं sarvanam kise kahate hain
संज्ञा शब्दों के स्थान पर
प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं सर्वनाम का महत्व सर्वनाम संज्ञा
सब्दों की पुनरावृति को रोकते हैं.
मैं, तू, आप, तुम, वह,क्या, कौन
आदि.
सर्वनामों का प्रयोग क्यों किया
जाता है –सर्वनामों का प्रयोग भाषा की सुन्दरता,
संक्षिप्तता , सरलता, के लिए प्रयोग किया किया जाता है. सर्वनाम के अभाव
संज्ञा शब्दों की बार-बार पुनरावृति होने से भाषा अशिष्ट और भद्दी लगती है.
सर्वनाम छह प्रकार के होते हैं- 1-
पुरुष वाचक सर्वनाम, 2- निश्चयवाचक सर्वनाम, 3- अनिश्चयवाचक सर्वनाम, 4- निजवाचक
सर्वनाम, 5- प्रश्नवाचक सर्वनाम, 6- सम्बन्ध वाचक सर्वनाम आदि.
सर्वनाम की अधिक जानकारी के लिए ये
पढ़ें- sarvanam kise kahate hai
उच्चारण स्थान- उच्चारण स्थान क्या है ? uchcharn sthan kya hai.
मुख के वे आन्तरिक और बाह्य अवयय जिनके द्वारा किसी भी वर्ण/ध्वनि का उच्चारण हो पता है । वे सभी अवयव ही हिंदी वर्णमाला (hindi varnmala)के उच्चारण स्थान कहलाते हैं। जैसे- कंठ, मूर्धा, दंत, तालु,ओष्ठ, नासिका, दंतोष्ठ, कंठतालु और कंठओष्ठ इत्यादि।
वर्णों के उच्चारण करते समय फेफड़ों में स्थित वायु नि:श्वास के समय जिन स्थानों से स्पर्श करती है। कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान दो
होते है तो कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान एक ही होता है ।
वर्णों के उच्चारण में जिव्हा का बहुत सहयोग रहता है अर्थात जिव्हा मुख के जिन-जिन अंगो या स्थानों को स्पर्श करती है वे स्थान या अंग ही उस वर्ण का उच्चारण
स्थान कहलाता है।
उच्चारण स्थान स्थान की अधिक
जानकारी के लिए इसे पढ़ें- uchcharan sthan kise kahate hain
मुहावरे क्या है Muhavare kya hain
मुहावरा शब्द का
अर्थ- मुहावरे सामान्य
और प्रचलित अर्थ का बोध न कराकर विशेष अर्थ का करने वाक्यांश को मुहावरे कहते हैं.
मुहावरा का वाग्धारा के
नाम से भी जाना जाता है.
भाषा में
लाक्षणिकता लाने के लिए मुहावरों का प्रयोग करना बहुत ही आवश्यक है.
मुहावरे भाषा में सरसता
लाते है और काव्य को रोचक बनाते. मुहावरे पूर्ण वाक्य नहीं होते है.
मुहावरे की पहचान-
मुहावरे पूर्ण
वाक्य नहीं होते हैं.
मुहावरे के अंत
में सदैव ‘ना’
आता है.
जैसे-
दांत खट्टे करना,
नौ दो ग्यारह होना.
वाक्य प्रयोग के
समय पर्यायवाची शब्दों का किया है
मुहावरे की बारे अधिक जानकारी के लिए ये पढ़े-
Muhavare Kya Hain
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