rahim ke dohe in hindi
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rahim ke dohe in hindi

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 दोहा

रहीम के दोहे ,dohe/rahim ke dohe in hindi

1-अच्युत चरण-तरंगिनी, सिव-सर-मालति –माल/
हरि न बनाओ सुरसरी ! कीजौ इन्दव भाल //
शब्दार्थ-अच्युत=विष्णु भगवान, तरंगिनी=गंगा, मालती= एक विशेष प्रकार का फूल,
हरि =विष्णु,सुरसरि=गंगा,इन्दव = चन्द्रमा , भाल=मस्तक पर /
2-अमी पियावत मान बिनु, रहिमन मोहि न सुहाय /
मान सहित मरिबो भलो , जों विष देय बुलाय //
शब्दार्थ-अमी=अमृत,मान=सम्मान के,सुहाय=अच्छा लगना /
3-कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुण तीन /
जैसी   संगति  बैठिये , तैसोई   फल   दीन //
शब्दार्थ-कदली=केला का पादप,भुजंग=सर्प /
4-कहि रहीम सम्पति सगे , बनत बहुत बहु रीति/
विपत्ति- कसौटी जे कसे, ते  ही  सांचे  मीत//
शब्दार्थ- रीति = प्रकार से, सांचे= सच्चे, मीत= मित्र /
5-काज परे कछु और है, काज सरे कछु और/
रहिमन भांवरी के भये , नदी सिरावत मौर //
शब्दार्थ – सरे=काम निकलना, भांवरी = शादी की भांवर, सिरावत=नदी में बहाना, मौर=दूल्हे का सेहरा /

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6-खैर-खून-खाँसी-खुशी,बैर-प्रीति मद-पान/
रहिमन दाबे ना दबे, जानत सकल जहान//
शब्दार्थ-खैर-कत्था या कुशलता, बैर=शत्रुता,मद=शराब,पान=खाने का पान,सकल=सारा,जहान=संसार/
7- जों रहीम उत्तम प्रकृति , का करि सकत कुसंग/
 चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग //
शब्दार्थ-प्रकृति=स्वभाब, कुसंग=गलत संगति, व्यापत=नुकसान/
8- जों रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय/
 बारे  उजियारो  करे , बढे  अंधेरो  होय //
शब्दार्थ=कपूत=कुपुत्र
9- रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चटकाय /
 टूटे से  फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि  जाय //
10-रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून /
 पानी  गए ना   ऊबरे, मोती  मानुष चून //
शब्दार्थ- पानी=इज्जत,चमक,जल, सून=शून्य,व्यर्थ, चून= आटा /
11- रहिमन ओछे नरन सों, बैर भली ना प्रीति /
 काटे  चाटे  स्वान के , दोऊ  भांति विपरीत//
शब्दार्थ- ओछे=नीच मनुष्य, स्वान=कुत्ता, दोऊ =दोनों प्रकार से , नरन=मनुष्यों, सों=से /
12- प्रीतम छवि नैनन बसी, पर छवि कहाँ समाय/
 भरी सराय रहीम लखि ,पथिक आप  फिर जाय//
शब्दार्थ- प्रीतम=प्रियतम या प्रेमी/प्रेमिका, नैनन=आँखों में, सराय=धर्मशाला, लखि=देखकर, आप=स्वयं ही, फिर = वापिस/

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13- यों रहीम जस होत है, उपकारी के संग/
 बाँटन वारे के लगे, ज्यों मेंहदी को  रंग//
शब्दार्थ-जस=यश,कीर्ति, बाँटन=पीसने वाले /
14- बिगरी बात बने नहीं, लाख करे किन कोय /
 रहिमन  फाटे दूध को, मथै ना  माखन होय //
15- मथत-मथत माखन रहै, दही मही बिलगाय/
 रहिमन  सोई  मीत है, भीर  परे ठहराय //
शब्दार्थ-मथत=मथने से, मही= छाछ,मठा, बिलगाय=अलग होना, भीर= मुसीबत/
16- कौन बड़ाई जलधि मिलि, गंग नाम भो धीम/
 केहि की  प्रभुता नहिं घटी, पर घर  गए रहीम//
शब्दार्थ-जलधि=समुद्र, भो=हुआ, धीम=मंद/धीमा, प्रभुता=गरिमा/बड़प्पन/

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17- जे गरीब पर हित करे , ते रहीम बड लोग/
 कहा सुदामा  बापुरो, कृष्ण  मिताई जोग //
शब्दार्थ- बापुरो=बेचारा, मिताई=मित्रता,जोग=योग्य /
18- अब रहीम मुश्किल पड़ी,गाढे दोऊ काम /
 साँचे से तो जग नहीं, झूठे मिलें न राम //
शब्दार्थ- गाढे=कठिन साँचे= सत्य, जग=संसार/
19- देनदार कोऊ और है, भेजत सो दिन रेन /
 लोग भरम  हम पै धरै , याते  नीचे नैन //
शब्दार्थ- देनदार=देने वाला, रैन=रात्रि, याते=इससे, भरम= भ्रम/
20- तरुवर फल नहीं ख़त हैं, सरवर पियहीं न पान /
 कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहिं सुजान //
शब्दार्थ- पियहीं=पीते हैं,सरवर=सरोवर/तालाब, पान=पानी, संचहिं=एकत्रित,सुजान=सज्जन/

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